Tuesday, February 22, 2011

मरते समय

मरते समय, एक डाक्टर की सोच ,
काश, रामू का एक्स-रे झूठा होता ,
और उसके पेट में हमसे कैंची , छुटा न होता |
काश , हरिया से स्वर्ग में , मिलने की संभावनाए न होती ,
अगर उसके हाथ में मेरी लिखी बेमर्ज की दवाएं न होती |

मरते समय , एक नेता की सोच ,
काश , रामू की गाय का चारा हमने खाया न होता ,
तो आज यूँ जानवरों के डाक्टरों के हाथ हमारा इलाज न हो रहा होता |
काश निर्दलियों को ऊँची दामो पर खरीदी न होती ,
तो आज हमारा भी इलाज इस जनरल वार्ड के बजाये , डीलक्स रूम में हो रहा होता |

मरते समय एक कवी की सोच,
काश श्रोताओ को इतना ज़हरीला कविता सुनाया न होता ,
तो आज हमे भी पैसे के अभाव में जहर खा कर सोना न पड़ता |
काश , कुछ अपनी भी लिखी कविताये सुनाई होती,
तो यूँ नीरस मौत की गुन्जायिश नहीं होती |

मरते समय , एक इंजिनियर की सोच ,
काश प्राइवेट कालेज में पिताजी ने "प्राइवेटली" दाखिला कराया न होता ,
तो हमने भी सरकारी पुल को अपना प्राइवेट समझ कर गिराया न होता |
काश , इंजीनियरिंग के बजाये अपना रुचिकर इतिहास पढ़ा होता ,
तो आज इमारतों के पत्तन का कारण न बनकर , उनके कारणों को खोज रहा होता |

मरते समय एक वकील की सोच ,
काश , काले सच को सफ़ेद झूठ का लिबास , उढाया न होता ,
तो शायद कुछ सच्चे लोगो का ताँता मेरे मरणशय्या के इर्द-गिर्द लगा होता |

मरते समय मेरी सोच ,
काश छात्रों के कुछ प्रश्नों का उत्तर हमने , "आउट आफ सिलेबस" कहकर टाला न होता ,
तो आज इन डाक्टरों , नेताओ , कवियों , इंजिनियरओ , वकीलों को मरते समय इतना सोचना न होता |
काश अपने शिक्षक होने का हमने थोडा भी गर्व किया होता ,
तो इन कई हज़ार जीवित प्रतिभाओ को उनके मौत के क्षण भी गर्व हो रहा होता |