Friday, October 15, 2010

अब हम रावण नहीं जलाते

बात ग्रामों से उठकर शहरों में बस जाने का है ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

बात हमारे विकसित से विकाशशील होने का है ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

बहु बेटियों को जलाना ही रुचिकर है हमको ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

हम भर भर अपने कार , स्कूटरों में इंधन जलाने से खुश हैं ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

दंगो में लोगों को जलाना उत्साहित करती हैं हमको ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

महंगाई से लगी आग को चुपचाप सह लेते हैं हम ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

इर्ष्या , क्रोध और अहंकार ही अब हमारे सुख दुःख के साथी हैं अब ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

राजनितिज्ञों और उनके सच्चे आश्वाशनो पर पूरा भरोसा है हमे ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

हमे वेद-पुराणों के "थीओरी" से ज्यादा अपने "प्रक्टिकल" होने पर गर्व है ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

हमारी मशालें बुझ चुकी हैं , रामयुग के आने के इन्तजार में ,
इसलिए अब हम रावण नहीं जलाते |

हमने रावण को ही जब अपना राम मान लिया है ,
तो क्यों हम रावण जलाये , क्यों व्यर्थ में अपना हाथ झुलसाये |

हमने रामायण बदलने की ठान ली है अब |

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